गुरुवार, 16 सितंबर 2010

सह पाएँ

मन की बात मन में रखें
कह जाएँ
बात तो तब है कि
कह पायें

एक बड़ा भ्रम सा
रहा करता है
मन में
जो सोचते रहे अब तक
जानते हो तुम भी
मन में

बड़ी मुश्किल है कैसे बताएँ
सह जाएँ
बात तो तब है
सह पाएँ

एक घरौंदा बना रखा है
चहेते रंगों से
अंतस में
उस घरौंदे तक आता है
एक रस्ता फिर
अंतस में

कभी लगता है अकेले ही न
रह जाएँ
कह नहीं सकते
रह पाएँ

कोई टिप्पणी नहीं: