रविवार, 12 सितंबर 2010

रहेगा मलाल

हम भला क्या करेंगे शिकायत तुमसे
किया तुमने वो सोचकर ही किया

अपनी चुप्पी को हम तहाए बैठे रहे
बोलने का तुमने न मौका ही दिया

तुम्हारी निगाहों में नहीं इबारत कोई
सपनों को न तुमने संजीदा ही लिया

तुमने एक मोड़ पर शब्दों को सज़ा दे दी
ढाई अक्षर टूटे, बिखरे न एक ही जिया

ढूँढा करेंगे पैबंद भी गर मिल जाएँ हमें
रहेगा मलाल तुमने एक न ही सिया

2 टिप्‍पणियां:

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश कि शीघ्र उन्नत्ति के लिए आवश्यक है।

एक वचन लेना ही होगा!, राजभाषा हिन्दी पर संगीता स्वारूप की प्रस्तुति, पधारें

सुनील मिश्र ने कहा…

आपका धन्यवाद राजभाषा हिंदी जी.