बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

भव्यता और अचम्भे का दर्शक वर्ग

पिछले शुक्रवार को रिलीज हुई निर्देशक शंकर की रजनीकान्त अभिनीत फिल्म रोबोट को समीक्षकों ने दिल खोलकर सितारे बाँटे हैं। सिनेमाघरों में भी इस फिल्म को देखने के लिए सप्ताहान्त में भीड़ जमा रही। नया सप्ताह शुरू हुआ तब भी दर्शकों की लाइनें इस बात को साबित कर रही थीं कि रोबोट, उन्हें रास आ गया है। दरअसल हमारे यहाँ एक बार फिल्म देखने के शौकीन दर्शक से कभी फिल्में नहीं चला करतीं। फिल्मों को चलाते हैं वे दर्शक जो एक से अधिक बार फिल्में देखने का शौक फरमाते हैं। वे भी अपनी भूमिका सिद्ध करते हैं जो महफिल के साथ सिनेमा का आनंद उठाने में विश्वास करते हैं। वास्तव में सिनेमा को हिट बनाने में उनका ही योगदान होता है।

रोबोट की सफलता को लेकर पहले से किसी प्रकार की आश्वस्ति का भाव नहीं था। हिन्दी सिनेमा का दर्शक बेशक रजनीकान्त को बखूबी जानता है मगर रजनीकान्त का सिनेमा हमारे यहाँ नियमित देखने को नहीं मिलता है। उनकी चार साल पहले आयी फिल्म सिवाजी द बॉस का मूल तमिल संस्करण जब दक्षिण में रिलीज हुआ था तो धूम मच गयी थी। इस फिल्म ने सफलता का परचम फहराया था और बड़ा धन अर्जित किया था। उत्तर भारत, विशेषकर दिल्ली, मुम्बई और गुजरात के शौकीनों ने तो हवाई जहाज का टिकट कटाकर चेन्नई जाकर सिवाजी द बॉस फिल्म देखी और मजा लिया।

यह बड़ी सख्ती ही कही जाएगी कि इस फिल्म की नकली सीडी लम्बे समय तक बाजार में नहीं आ सकी। निर्माता ने भी इसका ओरीजनल संस्करण लम्बे समय तक जारी नहीं किया। हिन्दी में दर्शक इसे देखने से दो साल वंचित रहे। पिछले दिनों ही कुछ चैनलों ने इस फिल्म को प्रसारित किया।

इस बार शंकर ने रजनीकान्त को लेकर एदिरन बनायी तो यह तय किया कि उसी के साथ-साथ इसका हिन्दी संस्करण भी रिलीज कर देंगे। शायद उन्हें सिवाजी द बॉस के समय की दर्शकीय जिज्ञासाओं का अन्दाज था तभी एदिरन के साथ-साथ हिन्दी मेंं रोबोट का प्रचार-प्रसार भी जोर-शोर से किया गया। यों रोबोट तकनीक और ज्ञान के दुरुपयोग और उसकी हानियों को प्रमाणित करने वाली एक उल्लेखनीय फिल्म है मगर फार्मूला, जानकारियाँ, ज्ञान और दक्षता के बुरे इस्तेमाल को सिनेमा में वक्त-वक्त पर विषय बनाकर प्रस्तुत किया गया है।

रोबोट में शंकर ने निर्माता से खूब खर्च कराया है मगर उससे कई गुना ज्यादा लौटकर भी आयेगा, इस दावे के साथ। हिन्दी सिनेमा के समकालीन नायकों की राजनीति ने वक्त-वक्त पर रजनीकान्त और कमल हसन जैसे सितारों की छबि को सीमित रखने के विफल प्रयास किए हैं क्योंकि जिस तरह की रेंज इन सितारों की है, दूसरे इनके पासंग भी नहीं ठहरते। एक लम्बे अरसे बाद रजनीकान्त को रोबोट के माध्यम से देखना सुखद रहा है।

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