मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

समझदारी में हर्ज क्या है?

वाकई समझदारी में जरा भी हर्ज नहीं है। यह बात फराह खान से सीखी समझी जा सकती है। इस समय वे अपनी फिल्म तीस मार खान का प्रमोशन कर रही हैं। टेलीविजन के शो बिग बॉस सहित और भी कई शो में उनका आना-जाना हो रहा है। साथ में उनके कलाकार भी होते हैं। सलमान खान ने उनसे इस शो में पूछा कि इस फिल्म में अक्षय न होते तो और कौन हो सकता था? फराह ने सलमान, आमिर सहित हितिक वगैरह के नाम लिए और शाहरुख का भी जिस पर सलमान ने अपना चेहरा तुरन्त प्रतिक्रियाहीन बनाकर प्रस्तुत किया।

फराह, फिल्म की नायिका कैटरीना के साथ आयी थीं। फराह सलमान से बार-बार कह रही थीं कि तुम दोनों की जोड़ी बड़ी अच्छी लगती है, उनका आशय कैटरीना और सलमान की जोड़ी से था और यह बात सुनकर कैटरीना बार-बार लजाती हुई दीख रही थीं। कैटरीना की मुस्कराहट संकोच और मर्यादा से भरी होती है। उनके मोहक दीखने का यह बड़ा मौलिक रहस्य है। सलमान इस पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं करते दीखे।

वास्तव में वक्त के साथ सलमान जितने संजीदा और गम्भीर हुए हैं वह एक बड़ा चमत्कार ही है। सलमान की संवेदनशीलता को प्रमाणित करने के लिए मिसालें गिनाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। फराह खान जितनी शाहरुख खान के नजदीक हैं उतनी ही अलग-अलग सलमान और आमिर के भी। सलमान और आमिर एक दूसरे की सराहना खुले दिल से करते हैं। सलमान के पिता सलीम साहब ने ही नासिर हुसैन की हिट फिल्म तीसरी मंजिल में अभिनय किया था और यादों की बारात फिल्म लिखी भी थी जिसमें आमिर ने बाल कलाकार की भूमिका निभायी थी।

फराह खान से अपनी दोस्ती के चलते ही सलमान ने तीस मार खान में एक विशेष भूमिका की है। फराह के पति शिरीष कुंदेर ने फिल्म की पटकथा लिखी थी। वे शाहरुख के साथ यह फिल्म बनाना चाहते थे। शाहरुख की हाँ में देर लगी तो अक्षय कुमार को लेकर फिल्म बन गयी। शाहरुख के काम न करने का प्रश्र शुरू में रह-रहकर उछला फिर खत्म हो गया। दिखायी दे रहा है कि शाहरुख रॉ वन के लिए जी-जान एक किए हैं। अपनी दोस्त फराह की फिल्म तीस मार खान के प्रमोशन के लिए पता नहीं उनके पास वक्त नहीं है, या उनका समर्थन या साथ फराह ने ही नहीं मांगा।

बहरहाल फराह एक समझदार और काबिल निर्देशक हैं। उनके बड़बोले भाई साजिद खान को अच्छी फिल्में बनाने की प्रेरणा अपनी बहन से लेनी चाहिए और सन्तुलित तथा सटीक बोलने की दक्षता भी उनके अनुसरण से हासिल करनी चाहिए। तीस मार खान यदि सफल हो जाती है तो फराह के खाते एक समझदार श्रेय दर्ज होगा। आखिर चतुरसुजान होने में बुराई ही क्या है?

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