शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

मौसम के परिधानों से दूर सिनेमा

हमारे सिनेमा से धीरे-धीरे बहुत सी पारम्परिक और मनभावन चीजें दूर होती जा रही हैं। आज की पीढ़ी में बहुत सारी आधुनिक समझ के साथ जो लोग सिनेमा के विभिन्न आयामों से जुडक़र काम करते हैं, उनमें बहुत जल्दी निर्णय लेने की तत्परता और अपनी बात पर अपनी विशेषज्ञता के नाम पर सहमत करा लेने का अजीब सा आत्मविश्वास काम करता है। ऐसे में जाहिर तौर पर वे अपने आज से ही सीखते सबक लेते हैं। इस समय मौसम सर्दी का है। पूरे देश में इस खूबसूरत मौसम को जमाना अपने-अपने ढंग से जीने लगता है। मौसम के अनुकूल मिजाज के परिधानों की तो जैसे जगह-जगह बहार आयी होती है। बहुत सारे रंग, बहुत सारे आकार और बहुत सारी देह को भली लगने वाली अनुभूतियों के वस्त्रों से बाजार पट जाते हैं और खरीदार गर्मजोशी से उनमेें से अपना चुनते हैं और पहनते हैं।

शाल, स्वेटर, कोट, सूट आदि का अपना सौन्दर्यबोध है। यह सब एक समय तक हमारे सिनेमा में खूब दिखायी देता रहा है। आशा पारेख, शर्मिला टैगोर, माला सिन्हा, साधना और वहीदा रहमान जैसी अभिनेत्रियाँ अनेक फिल्मों में स्वेटर, कार्डिगन पहने हमें कितनी खूबसूरत दिखायी देती थीं। बाग-बगीचों में उनका इठलाकर चलना, नायक से रोमांस करना और बात कहते-कहते मनभावन गीत गाने लगने का अपना अन्दाजा हुआ करता था। कई अभिनेत्रियों पर शॉल बड़ा सुहाता रहा है। खासकर नूतन, राखी, रेखा, नीतू सिंह, हेमा मालिनी, शाबाना आजमी रंग-बिरंगे शॉल में हमेशा गजब ढाती रही हैं। फिल्मों में माँ का किरदार करने वाली अभिनेत्रियाँ खासतौर पर निरुपा राय, सुलोचना, कामिनी कौशल, पूर्णिमा, इन्द्राणी मुखर्जी, उर्मिला भट्ट तो अपनी साड़ी के ऊपर शॉल हमेशा पहनकर ही परदे पर भावपूर्ण दृश्यों के साथ नजर आयी हैं। नायकों में मौसम के कपड़े पहनने का शगल बहुत पुराना रहा है।

शम्मी कपूर तो रंग-बिरंग मफलर डालकर हीरोइन के सामने तडि़त प्रभाव से नाचते हुए अलग ही दिखायी देते रहे हैं। सत्तर के दशक में उनकी ऐसी तमाम फिल्में हैं, खासकर नासिर हुसैन के बैनर की फिल्में, शम्मी कई दृश्यों में बड़े गाउन के साथ भी नजर आते थे। अभिनेताओं में अमिताभ बच्चन पर शॉल खूब फबता रहा है। कस्मे वादे, सिलसिला, कभी-कभी, जुर्माना, बेमिसाल, आलाप आदि फिल्मों में सर्दी के मौसम के ऊनी कपड़ों में बच्चन कई दृश्यों में बड़े सम्मोहक लगे हैं। चुपके-चुपके में हिल स्टेशन पर डाक बंगले के चौकीदार की नकली भूमिका करते हुए धर्मेन्द्र भी कम्बल ओढ़े, मंकी टोपी पहने दिलचस्प अदायगी करते हैं वहीं गजब में भी मन्दबुद्धि मुन्ना सरकार का उनका किरदार कान में हमेशा मफलर बांधे, स्वेटर पहने नाक में विक्स लगाता दर्शकों को हँसाता है।

अभिनेता ऋषि कपूर को किस्म-किस्म के स्वेटर पहनकर लुभाने वाले अपने दौर के अकेले नायक रहे हैं। मिथुन चक्रवर्ती पर भी प्यार झुकता नहीं में मफलर खूब फबा था। आज के दौर में किसी भी मौसम में कपड़ों से सबसे ज्यादा गुरेज नायिकाओं को है। नायक भी अब पहनावे में सहज रहना चाहता है इसीलिए भारी-भरकम परिधानों से परहेज करता है।

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