सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

चुनौतियों के जरिए सफलता का मार्ग

बुरा सिनेमा देखते-देखते अघाये दर्शक के सामने एक तरफ अच्छा देखने का संघर्ष है तो दूसरी तरफ निर्माता-निर्देशकों और अभिनेता-अभिनेत्रियों के सामने उस रास्ते को खोजने की चुनौती जिसके माध्यम से वे ऐसा कुछ कर सकें कि बिसूरे दर्शक एक बार फिर सिनेमाघर की तरफ लौट सकेें और सिनेमा के अच्छेपन पर उनका विश्वास पुन: कायम हो सके। रास्ते ढूँढ़े जाते हैं, उन रास्तों पर चला जाता है, सफलता मिल गयी तो उसकी खुशी मनायी जाती है और नहीं मिली तो फिर स्यापा तो है ही। आजकल मौलिकताओं के फेर में लोग ज्यादा नहीं पडऩा चाहते। फार्मूला बड़ी चीज है, उसे खोजना-पाना अपने आपमें एक काम है। दौर दोहराये जा रहे हैं। रस छोड़ चुका गन्ना मशीन में इस उम्मीद से लगा दिया जाता है कि बचा-खुचा और बह निकलेगा। इसके बाद भी सफलता का ऊपरवाला ही मालिक है।

इस समय हम दो-तीन अभिनेत्रियों को अपने कैरियर में जाते-जाते एक बार अपना झण्डा बुलन्द करने की जद्दोजहद देख रहे हैं। ये अभिनेत्रियाँ हैं रानी मुखर्जी, विद्या बालन और प्रियंका चोपड़ा। दो ज्यादा पापुलर नायिकाएँ करीना और कैटरीना, चुनौतियों के फेर में वक्त गँवाने वाली नहीं हैं, वे अपने बेहतर वक्त को जीते हुए एक दिन अचानक ही अपनी जगह पर किसी को स्थापित हुआ देखेंगी। सिनेमा में सचमुच वक्त अपनी तरह से जमावटें करता है और एक सीमा के बाद सभी को अपना रास्ता या तो बदलना होता है या खुद को बदलना होता है या फिर अपना रास्ता देखना होता है।

रानी मुखर्जी का समय एक तरह से व्यतीत हो चुका है मगर वे नो वन किल्ड जेसीका के माध्यम से एक बार अपने आपको किसी तरह जमाने में सफल रही हैं। यह किरदार उन्होंने उसी तरह जिया, जिसके माध्यम से उनका कलाकार भी यही साबित कर पाया कि तिलों में अब ज्यादा तेल नहीं बचा। विद्या बालन के पास अपेक्षाकृत अभी वक्त है। वे इश्किया से लेकर नो वन किल्ड जेसीका तक कुछ प्रयोग अपने लिए कर रही हैं, उनके किरदार बोल्ड हुए हैं, आगे भी कुछ फिल्मों के लिए वे अलहदा उत्साह से जुटी हैं। तीसरी कलाकार प्रियंका चोपड़ा का वक्त कुछ बेहतर दिखायी देता है। अभी सात खून माफ के लिए संजीदा समीक्षकों ने प्रियंका को उनके किरदार में बहुत सराहा है। विशाल भारद्वाज के साथ कमीने और यह नयी फिल्म उनकी अभिव्यक्ति में एक तरह का तीव्र इन्फ्लुएन्स पेश करती हैं। निर्देशक अब उन्हें और बेहतर भूमिकाएँ दें, यह भी प्रियंका का इशारा आगे के लिए है। चुनौतियों के जरिए ही सफलता का मार्ग भी सुनिश्चित है, इस पर अब प्रियंका का अगाध विश्वास हो गया है।

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