शनिवार, 26 मार्च 2011

शादियाँ कीर्तिमान नहीं एलिजाबेथ की


विश्वप्रसिद्ध अभिनेत्री एलिजाबेथ टेलर की मृत्यु पर प्रचारित होने वाली खबरों में उनकी नौ शादियों को लेकर इस तरह विशेष उल्लेख है जैसे जीवन में उन्होंने बस यही एक असाधारण काम किया हो। बीसवीं शती के उत्तरार्ध में विश्व सिनेमा में एक ऐसी अभिनेत्री की उपस्थिति जिसने अपनी पर्सनैलिटी, अपने सिनेमा और अपनी जीवनशैली से सबसे ज्यादा दुनिया को प्रभावित किया हो, ऐसी कोई बात कहीं चार वाक्यों में भी विश£ेषित नहीं की गयी है। कई बार विशिष्ट आयामों में अत्यन्त व्यापक और निरन्तर स्थायी बनी रहने वाली प्रतिष्ठा अर्जित करने वालों का भी दुनिया से जाना, एक सामान्य घटना ही बन कर रहा जाता है, ऐसी ही वजहों से।

अमरीकन माता-पिता की सन्तान एलिजाबेथ टेलर का जन्म 1930 में लन्दन में हुआ था। नौ-दस साल की उम्र में अपने अविभावकों के साथ वो लास एंजलिस आ गयी थीं। दिखने में आकर्षक और अभिव्यक्ति में भीतर से बड़ी आश्वस्त रहने वाली एलिजाबेथ को छोटी उम्र में ही बाल कलाकार के रूप में एमजीएम अर्थात मेट्रो गोल्डविन मेयर स्टुडियो ने अपनी फिल्मों के लिए लम्बी अवधि का अनुबन्ध दे दिया था। हॉलीवुड सिनेमा में लिज टेलर की यहाँ से एक ऐसी यात्रा शुरू हुई जो आगे चलकर खूब परवान चढ़ी। लेसी कम होम और नेशनल वेल्वेट जैसी फिल्मों ने उनको ऐसा प्लेटफॉर्म दिया जो आगे बड़ा काम आया। 1951 में वे हीरोइन बनीं और ए प्लेस इन द सन से एक नये चमत्कारिक रूप में सामने आयीं।

एलिजाबेथ टेलर ने जब नायिका की भूमिकाएँ करना शुरू कीं तब ज्यादातर फिल्मों में उनको परिपक्व स्त्री के रोल अधिक मिलते थे, अर्थात उम्र से अधिक दिखायी देने वाले किरदार। वे आसानी से ऐसे किरदारों को अपनी अदायगी से प्रभावी बनाती थीं। शारीरिक सौष्ठव और सौन्दर्य में उनका प्रभाव, अपने नायक से कई गुना अधिक हुआ करता था। इसी कारण उनको डॉमिनेटिंग पर्सनैलिटी कहा जाता था। अपने समय में हॉलीवुड की सबसे अधिक प्रभावी नायिकाओं में सोफिया लारेन और एलिजाबेथ टेलर ही शुमार होती थीं।

नौ शादियाँ और आठ पति का कीर्तिमान अपनी जगह है। इसमें गणित असहज इसलिए है क्योंकि रिचर्ड बर्टन से उन्होंने दो बार शादी की। दूसरी बार शादी में रिचर्ड ने एलिजाबेथ को जो हीरा भेंट किया था वो एक लाख पचास हजार डॉलर मूल्य का था। कहा जाता है कि यह हीरा 1621 में शाहजहाँ ने मुमताज को भेंट किया था। बहरहाल विलक्षण होना, अपनी पहचान है। अपने कैरियर में दो बार बटर फील्ड और हूज अफ्रेड ऑफ वर्जीनिया वुल्फ के लिए ऑस्कर हासिल करने वाली एलिजाबेथ ने मुकम्मल शानौ-शौकत को जिया।

क्लियोपेट्रा उनकी एक अनूठी फिल्म है, यों उन्होंने अपने महत्वपूर्ण फिल्मों में काम किया। उनकी ख्याति असाधारण थी, यही कारण था कि उनसे जुड़ी खबरें हिन्दुस्तान तक आती थीं और भले हम उनकी फिल्में न देख पाते हों, उनकी खूबियों, जीवनशैली और खूबसूरती से रोमांचित हुआ करते थे।

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