रविवार, 3 अप्रैल 2011

पूर्णता की प्रक्रिया में अच्छी फिल्में


सिनेमा का बाजार पिछले कुछ समय से अच्छा नहीं चल रहा है। दबंग की ऐतिहासिक सफलता के बाद जितनी भी फिल्में चार-पाँच माह में प्रदर्शित हुईं उनके व्यावसायिक आँकड़ोंं पर बात करने की स्थितियाँ इसलिए नहीं हैं क्योंकि कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है। सिनेमा के लिहाज से वातावरण बिल्कुल विपरीत बना रहा। वल्र्ड कप के परिणाम तक सारी दर्शकीय जिज्ञासा और जागरुकता क्रिकेट की तरफ सिमटकर एकाग्र हो गयी।

हालाँकि इस बात की भी दाद देनी होगी कि कई समझदार निर्देशकों-निर्माताओं ने कछुए की तरह अपने हाथ पैर शरीर के भीतर ही रखे। बनी फिल्में विलम्बित रखीं मगर कुछ शूरवीर ऐसे भी थे जिन्हें न तो बनाते समय चिन्ता थी कि वे क्या बनाने जा रहे हैं और न ही प्रदर्शित करते वक्त इस बात की चिन्ता हुई कि जो प्रदर्शित करने जा रहे हैं उसका व्यावसायिक हश्र क्या होगा? ऐसे लोगों की फिल्में आती-जाती रहीं।

सिनेमाघर में चहल-पहल दिखायी नहीं दे रही है। सिनेमाघरों में शो कैंसिल होने की स्थितियाँ भी बनीं रहीं। जनता को घर बैठकर अपनी अनुकूलता के साथ क्रिकेट से जुडऩा ज्यादा लाभप्रद और मनोरंजक लगा। सिनेमा के मनोरंजन वाली सोद्देश्यता से तो बरसों से दर्शकों का विश्वास उठ ही चुका है। हर निर्देशक, निर्माता इन्टरटेनमेंट की बात किए बगैर फिल्म की बात नहीं करता मगर इसको परिणामसम्मत कैसे बनाया जाता है, उस सोच-समझ और फार्मूले से वो अपने कोई सरोकार नहीं रखता। यही कारण है कि फ्लॉप फिल्मों की संख्या लगातार बढ़ी है, विफल फिल्मों के प्रतिशत में भी इजाफा हुआ है।

गर्मी का मौसम फिल्म इण्डस्ट्री के लिए भी एक तरह से सक्रियता के लिहाज से ठण्डा होता है। कलाकार चाहता है कि शेड्यूल विदेशों में हों ताकि महीनों आराम बना रहे। निर्माता भी अच्छे सहयोग की उम्मीद के साथ कलाकार के मनचीती लोकेशनों में धन बहाता है। उसे फिल्म तो बनाना ही है।

बहुत से समझदार निर्देशक-निर्माता गर्मी के मौसम के ठीक पहले अपनी फिल्म की शूटिंग पूरी कर लेते हैं और गर्मी में मनोयोग से ठण्डे वातावरण में पोस्ट प्रोडक्शन का काम निपटाते हैं। ऐसे फिल्मकारों में प्रकाश झा, डॉ. चन्द्रप्रकाश और अनीस बज्मी शामिल हैं जिनकी फिल्में आरक्षण, काशी का अस्सी और रेडी प्रगति ले रही हैं। रेडी सलमान खान की एक और महात्वाकाँक्षी फिल्म है, पहले रिलीज होगी फिर आरक्षण और काशी का अस्सी। चार-पाँच और ऐसी फिल्में भी कतार में हैं, जिनमें जिन्दगी न मिलेगी दोबारा, बॉडीगार्ड, रॉ वन प्रमुख हैं।

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