शनिवार, 21 मई 2011

रजनीकान्त और अंधा कानून

रजनीकान्त की पहली हिन्दी फिल्म अंधा कानून का निर्देशन टी. रामाराव ने किया था। इस फिल्म 1983 में आयी थी। तब रजनीकान्त को हिन्दी सिनेमा के दर्शक जानते नहीं थे। व्यावसायिक रूप से सफल अंधा कानून कोई बहुत श्रेष्ठ फिल्म नहीं थी लेकिन उसकी चर्चा इस रविवार हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि रजनीकान्त गम्भीर स्वास्थ्य संकट से जूझ रहे हैं।

दक्षिण भारत में अपने दर्शकों के इस सबसे ज्यादा चहेते अभिनेता का जीवन संघर्ष, उपलब्धियों और जमीन से जुड़े रहने की मिसाल है। रजनीकान्त जैसा असर और सफलता की आँख मूँद गारण्टी अमिताभ बच्चन के पास भी, रजनीकान्त स्तर की कभी नहीं रही।

अंधा कानून की कहानी उसी तरह की है, जिस तरह की अमूमन फिल्में सत्तर के दशक की पहचान थीं। हालाँकि यह बाद की फिल्म है मगर हीरो, विलेन, बदला, आँखमिचौली और चकमा देने की सारी शैलियाँ इस फिल्म में उस खास अन्दाज में फिल्मायी गयी थीं जिसके लिए दक्षिण भारत का सिनेमा की टेक्रीक तक आज भी कोई नहीं पहुँच पाया।

इस फिल्म में तीन खलनायक हैं जो एक परिवार में हमला कर बड़ी बेटी का बलात्कार करते हैं और वह मर जाती है। छोटी बहन और भाई गवाह हैं। अपनी बहन की हत्या का बदला दोनों का संकल्प है। छोटी बहन, जो बड़ी बनकर पुलिस इन्स्पेक्टर बनती है, कानून के जरिए अपराधियों को सजा दिलवाना चाहती है और भाई कानून तोडक़र, जैसे को तैसा और खून का बदला खून की शैली में।

प्रेम चोपड़ा, डैनी और प्राण खलनायक हैं। भाई बड़ा होकर रजनीकान्त है और बहन हेमा मालिनी। एक कहानी अमिताभ बच्चन, माधवी और अमरीश पुरी की समानान्तर रूप से इस फिल्म में चलती है। भाई, एक-एक करके दो बुरे आदमियों को मार देता है। अब बहन, भाई के पीछे है, उसको अपराध करते हुए पकडऩा चाहती है। अमिताभ बच्चन का किरदार भी कानून का सताया है। बहन का बदला लेने वाला भाई और यह किरदार मिलकर तीसरे खलनायक को उसी रास्ते से उसके अन्त तक पहुँचाते हैं जिस पर इनकी आस्था है।

अंधा कानून को दर्शकों ने अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी जैसे सितारों के साथ रजनीकान्त की उपस्थिति के लिए खास इस कारण पसन्द किया था, कि यह सितारा एक्शन, मारधाड़, पिस्तौल चलाने, सिगरेट उछालकर लाइटर से सुलगाने अन्दाज में अनोखा था। यह अन्दाज तक या अब भी किसी हिन्दी फिल्मी सितारे का नहीं हुआ।

आज भी दर्शक रजनीकान्त को परदे पर यह सब करते देखकर मजा लेते हैं। अंधा कानून, भाई-बहन की नोंकझोंक के दृश्यों में भी दर्शकों को पसन्द आयी थी। दर्शक-पाठक इस फिल्म के साथ अपनी यादों को ताजा करते हुए रजनीकान्त के बेहतर और जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना कर सकते हैं जिनकी नयी बड़ी और महात्वाकाँक्षी फिल्म राणा का सेट उनका इन्तजार कर रहा है।



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