शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

हनी ईरानी का निवेश



बच्चन साहब के ट्विटर में लिखे दो वाक्य ही देश-दुनिया की एक बड़ी खबर की तरह विन्यस्त होते हैं। आजकल उनकी कही गयी बातों को ध्यान से सुनने का जी चाहता है। तीन दिन पहले ही पढ़ा कि जिन्दगी न मिलेगी दोबारा देखकर उन्होंने फरहान और जोया अख्तर की तारीफ की और उनकी माँ हनी ईरानी की भी तारीफ की, खास यह लिखते हुए कि हनी ने अपने बच्चों का अच्छा निवेश किया है.. .. ..

परिवार की सामाजिक अवधारणा में बाल-बच्चों की परवरिश, उनको अच्छा इन्सान बनाने की कोशिश निवेश किस तरह हुआ यह समझ में नहीं आया। महानायक क्या इस अवधारणा को भी व्यावसाय या बाजार की तरह देखते हैं? अविभावक अपनी भूमिका हमेशा बहुत समर्पण और गम्भीरता से निबाहते हैं, यह बात अलग है कि एक बड़ा प्रतिशत इस निबाह की बेदर्द सर्जरी करता है और तमाम मूर्खतापूर्ण प्रश्र उठाता है। हमारे देश में वृद्धाश्रम का अस्तित्व ऐसे ही नाशुक्रे लोगों की वजह से है जो दुर्भाग्य से वहाँ जीवन जीने वालों की सन्तानें हैं। महानायक की ही भाषा में कहें तो हनी की तरह सभी का निवेश अच्छा होता है।

जहाँ तक जिन्दगी न मिलेगी दोबारा का प्रश्र है, वाकई वो एक खूबसूरत और जी-जाने वाली फिल्म है। बिना किसी खलनायक के कैसे फिल्म बनती है, यह इस फिल्म को देखकर जाना जा सकता है। अमिताभ बच्चन ने जाने क्यों कहें या जान-बूझकर जावेद अख्तर का नाम नहीं लिया। फरहान अख्तर और जोया, निश्चित ही जावेद अख्तर और हनी ईरानी के बच्चे हैं और जिन्दगी न मिलेगी दोबारा की कहानी यदि जोया और रीमा कागती तथा निर्देशन जोया का है तो फिल्म के संवाद फरहान अख्तर ने लिखे हैं।

जावेद अख्तर इस फिल्म में बड़ी प्रमुखता से मौजूद हैं बच्चन साहब, उन्होंने फिल्म के गीत भी लिखे हैं और फरहान का किरदार जो कवि है, आधी से ज्यादा फिल्म में अपने पिता की रचनाएँ ही पढ़ते हैं। ऐसे में एक परिमार्जित ट्वीट की अपेक्षा की जा सकती है महानायक से।

जहाँ तक हनी ईरानी की बात है, वे बहुत शालीन और गरिमापूर्ण महिला हैं जिन्होंने कुछेक ही सही मगर बड़ी अच्छी फिल्में यश चोपड़ा और राकेश रोशन के लिए लिखी हैं। अरमान, उनकी एक निर्देशित फिल्म भी है। वे हमेशा पाश्र्व में रहती हैं। पार्टियों, उत्सवों में वे नहीं होती हैं। उनके बच्चों, जोया और फरहान में प्रतिभा, नवोन्मेषी सोच और अपने वक्त के युवा, समय और सपनों को लेकर जिस प्रकार की दृष्टि है, वह उन संस्कारों और परिवेश से है, जहाँ जीवन, व्यवहार, शब्द से लेकर वाक्य और उसके विन्यास तक का मर्म बहुत संवेदनशील तरीके से समझा जाता है।

हनी ईरानी नेपथ्य में अपनी गरिमा के साथ हैं मगर प्राकट्य में जोया, फरहान की छबियों में अनूठी आभा की तरह उन्हें देखा जा सकता है।

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