मंगलवार, 9 अगस्त 2011

ताश के महल, फूँक का तूफान



शेयर मार्केट में आयी गिरावट ने बड़े निवेशकों के माथे पर पसीना चुहचुहा दिया है। अखबारों की मुख्य खबरों में पिछले तीन-चार दिनों से यही छाया हुआ है। यह ऐसे मार्केट का फलसफा है जहाँ पारा ब्लड प्रेशर मापने के यंत्र में जिस तरह चढ़-उतरकर जान-जोखिम में डाल दिया करता है, उसी तरह बाजार में भी। सूखे घाव की पपड़ी उखडऩे जैसा एहसास है जो किसी न किसी लापरवाही से उखड़ जाती है मगर आदमी देर तक छटपटाता रहता है।

शेयर मार्केट जाने कितने नागरिकों के भी सपने को साकार होने का ऐसा माध्यम बनकर पिछले दो दशकों में आया है, जहाँ बड़े सपने देखने वाले की भी अपनी दुनिया है और छोटे सपने देखने वालों की भी। महल बनाने का लक्ष्य रखने वाले भी यहाँ हैं और एयर कण्डीशण्ड झोपड़ी भी। अपने धन को उम्मीद से कई गुना बढ़ाने का भरोसा दिलाने वाली संस्थाओं में निवेश करने वाले और दाँव पर लगने-लगाने वालों के काम की तुलना भले अब सट्टे से सीधे किया जाना बहुत कम हो गया है मगर यह बाजार-व्यावसाय भी दरअसल आया उसी जगह से है।

हिन्दी फिल्मों में बलराज साहनी की सट्टा बाजार से लेकर प्रेमनाथ की प्रभावी भूमिका वाली फिल्म धर्मात्मा तक रुपए की गिनती ताश के बावन पत्तों से बढ़ाने के खेल को भिन्नताओं में पेश करती है। दिलीप कुमार की दास्तान मे भी खलनायक को सबक सिखाने के लिए उसको निवेश के भ्रमजाल में फँसाया जाता है, जब खलनायक सारी पूँजी लगा बैठता है तब भाव गिर जाते हैं।

यश चोपड़ा की फिल्म त्रिशूल में भी इसी तरह के दृश्य हैं। यहाँ बेटा और बाप आमने-सामने हैं और सामने वाले को छोटा करने की होड़ है। आज शेयर बाजार में जितना दखल सरकार की कम्पनियों का है उससे कहीं ज्यादा निजी कम्पनियाँ मैदान में हैं। ऐसी निजी संस्थाएँ समानान्तर रूप से सरकार के सामने चुनौतियों की तरह खड़ी हो जाती हैं।

एयर इण्डिया को टक्कर देने के लिए बीस एयर लाइन्स हैं, डाक की परिपाटी को कोरियर ने अस्तित्वहीन कर दिया, सरकारी बीमा को निजी बीमा कम्पनियों ने जीभ दिखायी, बैंक के टक्कर में बैंक खड़े हो गये। हिन्दी फिल्मों के कितने ही किरदार विभिन्न दृश्यों में हमें शेयर मार्केट के अचानक गिर जाने से बरबाद होने वाली अवस्था को जीते दिखायी देते हैं। आम आदमी का हाल उससे भी ज्यादा बुरा होता है। शॉर्ट कट के सपने ताश के महल की तरह ही होते हैं जिनके लिए जरा सी फूँक भी तूफान का काम करती है।

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