मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

अनिल कुमार के शिल्प : ठोस अभिप्रायों के सरोकार



ग्वालियर मूल के शिल्पकार अनिल कुमार के शिल्पों की एक प्रदर्शनी भारत भवन, भोपाल में हाल ही आयोजित की गयी थी। वे बता रहे थे कि भोपाल में एक लम्बे समय बाद उनकी प्रदर्शनी हुई है। प्रदर्शित शिल्प उनके लगभग पिछले तीन साल में हुए सृजनात्मक श्रम को प्रमाणित करते हैं। रंगदर्शिनी दीर्घा में हमने उनके लगभग तीस से ज्यादा शिल्प देखे बहुविध रूपाकारों और अभिव्यक्तिगत मुहावरों के अभिप्रायों के साथ। प्रदर्शित शिल्पों में कुछ सफेद पत्थर को गढ़कर बनाये गये थे और अनेक सारे रंगीन पत्थरों पर प्रयोग थे। अनिल कुमार ने बताया कि इधर कुछ समय से विविध रंगी पत्थरों को लेकर काम करना अच्छा लगा है, प्रतीत हुआ है कि आकार ग्रहण करने के बाद ये ज्यादा तलस्पर्शी आभासित होते हैं, यद्यपि सफेद रंग का अपना सर्वकालिक आकर्षण और महत्व है।

अनिल कुमार ने अपने लगभग सभी शिल्पों में पत्थर और स्टील(धातु) के रिश्तों का जो सामंजस्य स्थापित किया है, उसको ध्यान से देखा, जिज्ञासा हुई। उन्होंने दोनों ही माध्यमों के ठोस स्वभावों में बहुत ही कुशलता के साथ तालमेल स्थापित किया है। पत्थर को अपनी आकांक्षा या दृष्टि के अनुरूप लाना जितना कठिन और श्रमसाध्य काम है, स्टील की चमकदार छोटी सलाखों की उनमें जगह सुनिश्चित करना और उन्हें उनके तथा पत्थर की अस्मिता के साथ परस्पर समाविष्ट करना कठिन कौशल है। यहाँ पत्थर उदार है, सहभागिता के लिए स्पेस दे रहा है और स्टील के अस्तित्व को भी जस का तस अपनी संगत प्रदान कर रहा है। यह मेल शिल्पकार के विचारों और अमूर्त के प्रति सुदीर्घ अनुभवी धारणाओं और माध्यम के प्रति संजीदा सरोकारों के साथ अभिव्यक्त होता है।

प्रदर्शित शिल्पों में परिष्कार के स्तर पर समान व्यवहार भी नजर आता था। अनिल कुमार ने प्रत्येक शिल्प को उसके अस्तित्व की पूर्णता में परिमार्जित किया है। वे रंगों की विविधता में भी स्टील के मूल आदर्श से एक रिश्ता बनाने में सफल हैं। उनका यह काम अलग तरह का है, इसको उनकी परिभाषा के साथ समझना सार्थकता के नजदीक पहुँचना आसान बनाता है।

उनके ये शिल्प कुछ समय पहले मुम्बई में भी जहाँगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शित हुए थे, तब वहाँ भी प्रेक्षकों और जिज्ञासुओं ने उनके नवाचार को सराहा था। अनिल कुमार का जन्म ग्वालियर में 1961 में हुआ। वे एक अग्रणी शिल्पकार हैं। मुम्बई में ताज आर्ट गैलरी में भी उनकी प्रदर्शनी आयोजित हुई है। इसके अलावा नयी दिल्ली, वाराणसी, हम्पी, भुवनेश्वर, ग्वालियर आदि शहरों में भी उनके शिल्पों की प्रदर्शनी सराही गयी है। अनेक प्रतिष्ठित कला संस्थानों में अनिल कुमार के शिल्प संग्रहीत हैं। उन्हें मध्यप्रदेश राज्य पुरस्कार, बाम्बे आर्ट सोसायटी अवार्ड, रजा पुरस्कार, राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। अनिल कुमार अब भोपाल में रह रहे हैं और संस्कृति विभाग के जनजातीय संग्रहालय में उप निदेशक हैं।


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