शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

भूतनाथ और अखरोट का जागरुकता अभियान



जागरुकता से आशय जगाना भी होता है। जाग्रत करना। हम सोये हुए नहीं हैं मगर उदासीन हो सकते हैं। बहुत सी आवश्यक और अपरिहार्य चीजों के लिए उदासीन हो सकते हैं। सचेत करने और चेताने वाले उपक्रम ही हमें जाग्रत करते हैं। जाग्रत करना और जागरुकता की बात करना एक बड़ी सामाजिकता की पहल होती है। ऐसी पहल कभी-कभार सिनेमा के माध्यम से अब भी होती है। नितेश तिवारी की फिल्म भूतनाथ रिटर्न में यह दिखायी दी है। इस नाते इस फिल्म को ही साधुवाद देने का मन होता है। हालाँकि इस फिल्म में और सभी को निष्प्रभावी करती अपनी महिमा के साथ अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में उपस्थित हैं लेकिन पार्थ भालेराव कमाल का लड़का है जो उनके साथ प्राय: हर दृश्य में रहते हुए भी उनकी महिमा से निष्प्रभावी रहा है।

बड़े सितारे के सामने अक्सर उनके जूनियर आमने-सामने के दृश्यों में मर्यादा और आत्मविश्वास के मामले में स्वयं ही जरा शिथिल हो जाया करते हैं लेकिन एक उदाहरण यश चोपड़ा की फिल्म मशाल का है जिसमें दिलीप कुमार के सामने अनिल कपूर ने यथासम्भव अपने आत्मविश्वास को बनाये रखा था, यदृपि शक्ति फिल्म में अमिताभ बच्चन जब-जब दिलीप कुमार के सामने आये, खुद को जरा कम होकर ही व्यक्त किया। खैर ये अपने-अपने शिष्टाचार हैं, होना भी चाहिए।

अमिताभ बच्चन, पार्थ भालेराव की खुद भी तारीफ करते हैं। महानायक भूत बने हैं फिल्म में और पार्थ, अखरोट नाम का किरदार जो उनसे नहीं डरता और उनको जमीन पर देख भी लेता है, शेष कोई उनकी आकृति को चीन्ह नहीं पाता। पार्थ की परवरिश अंग्रेजी में कहें तो स्लम बस्ती में हुई है लेकिन नितेश तिवारी को उसमें अपनी फिल्म का ये किरदार अखरोट नजर आया। उसका परिष्कार करके उन्होंने अमिताभ के साथ फिल्म में इस तरह किया है कि दोनों के साथ फिल्म सहज गति से चलती है। पार्थ ने उन सारे दृश्यों में अपने को बिना झिझक व्यक्त किया है जो अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म में हैं। निश्चित रूप से अमिताभ बच्चन ने भी उसको इसके लिए सहज किया होगा। उसका अपनी माँ, जिसका किरदार ऊषा जाधव ने निभाया है, के साथ रात को सोते हुए लम्बे संवाद में माँ के संघर्ष पर कही गयी बातें मन को छू जाती हैं। सच है, हर माँ घर के डिब्बे में नीचे बासी रोटी अपने खाने के लिए रखती है और उसके ऊपर ताजी रोटी बच्चों के लिए। 

भूतनाथ रिटर्न में मुख्य किरदार भूतनाथ और अखरोट आम जनता से वोट करने की बात करते हैं, उन्हें वोट देने के लिए जागरुक करते हैं। भूतनाथ, अखरोट और अपने वकील (संजय मिश्रा) के सामने दस मूँगफलियों में से पाँच-पाँच अलग करके पाँच में से दो और तीन मूँगफलियों के माध्यम से उदासीन मतदाता, वोट करने जाने और नहीं जाने वालों की व्याख्या करते हैं, वो दिलचस्प है। अदृश्य सम्भाषण में वोटर आईडी बनवाने के लिए हर आदमी को जागरुक करने वाली बात भी फिल्म में है। 

प्रदर्शन से अब तक भूतनाथ रिटर्न को प्रेक्षकों, आलोचकों ने देखकर अपनी दृष्टि और आकलन के अनुरूप सितारे प्रदान किए हैं। व्यक्तिश: मुझे यह सहजतापूर्वक तीन सितारों वाली फिल्म लगती है। पन्द्रह मिनट इसे और सम्पादित कर दिया जाता तो फिल्म और चुस्त हो सकती थी। अब के समय में मुझे लगता है, सिनेमा देखने के लिए भी दो घण्टे से अधिक सिनेमाहॉल में बैठने का धीरज मुश्किल से दिखायी देता है..........

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